नई दिल्ली, अगस्त 19 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि दुष्कर्म और किशोरों के वास्तविक प्रेम संबंधों के मामलों के बीच अंतर किया जाना जरूरी है। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने सह-शिक्षा संस्थानों तथा विश्वविद्यालयों के अस्तित्व का उल्लेख करते हुए कहा कि अब, उनमें एक-दूसरे के लिए भावनाएं विकसित होती हैं। क्या आप कह सकते हैं कि प्रेम करना अपराध है? हमें इसमें और दुष्कर्म आदि जैसे आपराधिक कृत्य में अंतर रखना होगा। यह टिप्पणी एक याचिका पर आई, जिसमें यह प्रश्न उठाया गया था कि यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम के तहत सहमति की आयु, जो 18 वर्ष है, को घटाकर 16 वर्ष किया जाना चाहिए या नहीं। पीठ ने कहा कि जब वास्तविक प्रेम संबंध होते हैं, तो वे एक-दूसरे को पसंद करते हैं और वे शादी करना चाहते हैं। ऐ...