मुरादाबाद, दिसम्बर 2 -- मुरादाबाद। एक तरफ, लाडले की बेहतर पढ़ाई लिखाई और अच्छे कॅरियर से जुड़े सपने वहीं, दूसरी तरफ, लाडले के दिमागी लाचारी यानि मानसिक मंदता से पीड़ित होने की चुभन अब अभिभावकों को इतना अधिक व्यथित कर रही है कि वह लाचार और बेबस दिखाई दे रहे हैं। जिसके दृष्टिगत अपने बच्चे के मानसिक मंदता से पीड़ित होने के चलते उसका दिव्यांग प्रमाणपत्र बनवाने के लिए उसे लेकर आने वाले अभिभावकों की मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग करने पर फोकस बढ़ाया गया है। राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत जिला अस्पताल में संचालित हो रहे मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ पर कार्यरत क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ.एस धनंजय ने बताया कि बदले हुए परिदृश्य में अभिभावक अपने परिवार को एक या दो बच्चे तक ही सीमित करने पर फोकस कर रहे हैं और बच्चा परफेक्ट साबित होने का सपना संजो ...
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