नई दिल्ली, जुलाई 15 -- सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को उनकी 'जमीन के बदले जमीन संबंधी नीतियों के प्रति आगाह करते हुए कहा है कि ऐसी योजनाएं 'दुर्लभतम मामलों में ही लागू की जानी चाहिए। न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने आगे कहा कि राज्य सरकार के भूमि अधिग्रहण का विरोध करने के लिए संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत आजीविका के अधिकार से वंचित करने की दलील 'टिकने वाली नहीं है। पीठ ने हरियाणा सरकार की ओर से दायर मुकदमे को सभी राज्यों के लिए 'आंखें खोलने वाला बताया। पीठ हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण के संपदा अधिकारी और अन्य द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के 2016 के उस फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें विस्थापितों के पक्ष में निचली अदालत के आदेशों को बरकरार रखा गया था। तर्क टिकन...