मेरठ, मार्च 8 -- मेरठ। बाबा औघड़नाथ मंदिर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में शुक्रवार को कथावाचक ने बताया कि दुराचारी-पापी चाहे कोई भी हो, उसे कर्मों का फल भुगतना ही पड़ता है। मंदिर परिषद में स्थित सत्संग भवन में कथा स्थल पर मंदिर समिति के अध्यक्ष सतीश सिंघल और आदेश गुप्ता, हर्षित गुप्ता ने कथा वाचक का माल्यापर्ण कर स्वागत किया। पूजन के बाद कथावाचक ब्रह्मरात हरितोष एकलव्य ने वस्त्र हरण कथा, कंस मर्दन की कथा और भगवान कृष्ण के विवाह का वर्णन किया। वस्त्र हरण कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भगवान ने गोपियों के वस्त्रों का हरण नहीं किया था, बल्कि उन्होंने गोपियों के मन और मस्तिक पर पड़े हुए अज्ञातरूपी वस्त्रों का हरण किया, जिससे वह भगवान के पावन रास के अधिकारी बन सकें। कंस मर्दन का वर्णन करते हुए कहा कि दुराचारी-पापी चाहे कोई भी हो, वह किसी भी रुप ...