नई दिल्ली, सितम्बर 27 -- नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। विश्व की प्रगति में विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। परंतु आज कृत्रिम बुद्धिमता (एआई), उच्च शिक्षा कारोबार और शोध बजट की कमी ने विश्वविद्यालयों के सामने चुनौतीपूर्ण स्थितियां पैदा कर दी हैं। नेचर जर्नल में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि आज विश्वविद्यालयों के सामने बुनियादी सवाल यह है कि शिक्षा किसके लिए है, इसे कैसे प्रदान किया जाए और इसे कैसे वित्त पोषित किया जाए? रिपोर्ट के अनुसार, शोध का बजट कम होने के कारण संकाय सदस्यों पर लगातार काम का बोझ बढ़ रहा है। कड़े वीजा नियम छात्रों एवं शोधकर्ताओं की वैश्विक गतिशीलता को प्रभावित कर रहे हैं। कई देशों में शैक्षणिक स्वतंत्रता राजनेताओं के दबाव में आ गई है, वे विश्वविद्यालयों को सामाजिक और राजनीतिक दृष्टिकोण के सभी पहलुओं के लिए ...