नई दिल्ली, सितम्बर 23 -- सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को निरस्त कर दिया, जिसमें दीवानी जज के पद के लिए तीन साल की वकालत अनिवार्य कर दी गई थी। न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट द्वारा अपनी खंडपीठ के फैसले को चुनौती देने वाली अपील स्वीकार कर ली। हाईकोर्ट की ओर से पेश हुए अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे ने दलील दी कि पुनर्परीक्षा 'असंवैधानिक और अव्यावहारिक है तथा इससे मुकदमों की बाढ़ आ जाएगी। शीर्ष अदालत ने पिछले वर्ष हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी थी, जिसमें तीन वर्ष की अनिवार्य वकालत की शर्त के बिना दीवानी जज की नियुक्ति प्रक्रिया रोक दी गई थी। मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा नियम, 1994 को 23 जून 2023 को संशोधित किया गया था, ताकि राज्य में दीवानी जज प्रवेश स्तर...