दरभंगा, अक्टूबर 16 -- दरभंगा। दीपावली अंधकार से प्रकाश की, जबकि छठ पर्व प्रकृति और मनुष्य के मिलन की साधना का प्रतीक है। दीप केवल ज्योति का नहीं, बल्कि ज्ञान, आत्मबोध और मानवीय संवेदना का प्रतीक है। महाभारत और वेदों में सूर्य की महत्ता वर्णित है। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर इतिहास विभाग के तत्वावधान में गुरुवार को दीपोत्सव से लोक आस्था के महापर्व छठ की लोक जीवन में प्रासंगिकता विषय पर आयोजित संगोष्ठी में सीएम कॉलेज के संस्कृत विभागाध्यक्ष डॉ. संजीत कुमार झा सरस ने उक्त बातें कही। डॉ. सरस ने कहा कि सूर्य आत्मा हैं, बिना सूर्य के जीवन संभव नहीं। बिहार की यह संस्कृति ही है, जिसने ढलते सूर्य की भी पूजा कर दुनिया को यह सिखाया कि सम्मान केवल उगते के लिए नहीं, अस्त होते के लिए भी होना चाहिए। दीपोत्सव और छठ भारतीय संस्कृति की ...