बगहा, अगस्त 10 -- दिहाड़ी मजदूरों को काम के हिसाब से मजदूरी नहीं मिलती है। ऐसा नहीं है कि वे काम बेहतर नहीं करते हैं, असंगठित क्षेत्र होने के कारण इनकी स्थिति पर कोई ध्यान नहीं देता है। वर्ष भर काम मिलने की आस में ये ठेकेदारों के चंगुल में फंस जाते हैं। काम के अनुसार मजदूरी देने का उनपर दबाव भी नहीं डाल पाते हैं। अपनी समस्याओं को लेकर दिहाड़ी मजदूरों ने बोले बेतिया के तहत अपनी बात रखी। मजदूर अर्जुन पटेल बताते हैं कि प्रतिदिन मजदूरी की तलाश में गांव से शहर की ओर आने वाले दिहाड़ी मजदूरों को महीने में 10 दिन बगैर काम किए वापस जाना पड़ता है। इस कारण दो जून की रोटी के लिए मशक्कत करनी पड़ती है। महंगाई के इस दौर में पैसे के अभाव में परिवार का सही ढंग से भरण पोषण नहीं हो पा रहा है। सिंहासन मिस्त्री, चंद्रिका राम, भोला पटेल ने बताया कि काफी मुश्कि...