निखिल पाठक। नई दिल्ली, दिसम्बर 4 -- बीते छह वर्षों में जिला अदालतों पर काम का दबाव अभूतपूर्व रूप से बढ़ गया है। न्यायिक प्रणाली में सुधार के प्रयासों के बावजूद अदालतों में दायर होने वाले मुकदमों की संख्या इतनी तेजी से बढ़ी है कि मौजूदा संसाधन पर्याप्त नहीं दिख रहे हैं। नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2018 में जहां 4.84 लाख मुकदमे दायर हुए थे, वहीं 2024 में यह संख्या बढ़कर 10.2 लाख तक पहुंच गई। इस वर्ष आज के दिन तक 8.33 लाख मुकदमे दायर हो चुके हैं। वर्तमान में जिला अदालतों में लगभग 700 न्यायाधीश तैनात हैं, जबकि लंबित मामलों का बोझ लगातार बढ़ रहा है। ताजा आंकड़ों के अनुसार, राजधानी की सात जिला अदालतों में 15,78,702 लाख मुकदमे लंबित हैं। जिसमें से 13,61,168 लाख आपराधिक और 2,17,534 लाख दीवानी मुकदमे हैं। स्थिति यह है क...