नई दिल्ली, अक्टूबर 15 -- हर साल दशहरा और दीवाली के मौके पर दिल्ली-एनसीआर के कई मैदानों में मेले सजते हैं। रंग-बिरंगे फेरिस व्हील, कार्निवल झूले और विशालकाय जहाज जैसे झूले बच्चों से लेकर बड़ों तक को लुभाते हैं। लेकिन इनकी चमक-दमक के पीछे छिपा है एक डरावना सच। इनमें से ज्यादातर झूले बिना किसी ठोस सुरक्षा जांच के चलाए जाते हैं। सितंबर के आखिरी हफ्ते में पश्चिम दिल्ली के एक मेले में एक महिला फेरिस व्हील पर अपनी सीट से फिसलकर हवा में लटक गई। वहां सेफ्टी बेल्ट का नामोनिशान नहीं था। रोहिणी में एक झूला पलटते-पलटते बचा और कापसहेड़ा में एक युवती की जान चली गई। ये हादसे बता रहे हैं कि मस्ती के इन झूलों में कितना बड़ा जोखिम छिपा है।क्या है जमीनी हकीकत? कागजों पर तो मेले के आयोजकों को जिला मजिस्ट्रेट से परमिट लेना होता है, जिसके लिए दिल्ली पुलिस और MC...
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