नई दिल्ली, नवम्बर 28 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि विवाह एक पवित्र और महान संस्था है, जो आपसी विश्वास, साहचर्य और सम्मान पर आधारित है, लेकिन दहेज की बुराई के कारण यह पवित्र बंधन दुर्भाग्य से एक व्यावसायिक लेन-देन बनकर रह गया है। न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि दहेज हत्या केवल एक व्यक्ति के विरुद्ध नहीं, बल्कि समग्र समाज के विरुद्ध अपराध है। पीठ ने कहा कि यह अदालत इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि विवाह, अपने वास्तविक स्वरूप में एक पवित्र और महान संस्था है। हालांकि, हाल के दिनों में, यह पवित्र बंधन दुर्भाग्य से एक मात्र व्यावसायिक लेन-देन बनकर रह गया है। पीठ ने यह टिप्पणी उस व्यक्ति की जमानत रद्द करते हुए की, जिस पर शादी के सिर्फ चार महीने बाद ही दहेज के लिए अपनी पत्नी को जहर देने का आरोप ...