नई दिल्ली, दिसम्बर 16 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक कड़े फैसले में दहेज की कुप्रथा को समाज का गंभीर अभिशाप करार देते हुए कहा कि कानूनी प्रतिबंध के बावजूद यह प्रथा 'उपहार' और सामाजिक अपेक्षाओं के रूप में छिपकर फल-फूल रही है। यह प्रथा महिलाओं के साथ विवाह में उत्पीड़न, क्रूरता और मौतों से जुड़ी हुई है। जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की अपीलों पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट के 2003 के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें दहेज मौत के एक मामले में आरोपी पति अजमल बेग और उसकी मां जमीला बेग को बरी कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट की सजा को बहाल कर दिया। बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला 20 वर्षीय नसरीन की मौत से जुड़ा है, जिनकी शादी अजमल बेग से हुई थी और शादी के एक साल से कुछ...
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