नई दिल्ली, सितम्बर 6 -- नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि 'बैंक हस्तांतरण या चेक से भुगतान जैसे दस्तावेजी साक्ष्यों के अभाव में नकद लेनदेन को तब खारिज नहीं किया जा सकता है, जब यह स्पष्ट हो कि वास्तव में धन का भुगतान किया गया था। शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि मौद्रिक लेन-देन में नकदी का एक घटक शामिल होना असामान्य नहीं है और कानून ऐसे भुगतानों को केवल इसलिए नजरअंदाज नहीं कर सकता क्योंकि वे आधिकारिक बैंकिंग रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और विपुल मनुभाई पंचोली की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि 'जो व्यक्ति नकद में धन का भुगतान करता है, उसके पास इसे (भुगतान) साबित करने के लिए हमेशा दस्तावेजी साक्ष्य मौजूद नहीं होता है। पीठ ने आगे कहा कि हालांकि कभी-कभी पक्ष नकद लेनदेन क...