शामली, सितम्बर 7 -- शहर के जैन धर्मशाला में दशलक्षण महापर्व के अंतिम दिन श्री 108 विव्रत सागर मुनिराज ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म पर प्रवचन दिया। उन्होंने ब्रह्मचर्य के वास्तविक अर्थ, उसके आध्यात्मिक महत्व तथा आधुनिक जीवनशैली में इसकी प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। मुनिराज ने कहा कि ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल शारीरिक संयम नहीं, बल्कि सभी इंद्रियों और मन का नियंत्रण है। उन्होंने समझाया कि लोक में स्त्री-पुरुष संबंधों का सम्मान मानव सदाचार है, किंतु वास्तविक ब्रह्मचर्य उससे कहीं अधिक महान है। यही कारण है कि इसे धर्म के सोपान में सबसे उच्च स्थान पर रखा गया है। उन्होंने कहा कि आज मोबाइल और इंटरनेट के अत्यधिक उपयोग से युवा वर्ग में अब्रह्म का सेवन बढ़ गया है। ऐप्स और अशोभनीय सामग्री मानसिक विचलन का कारण बनती है। बच्चों को मोबाइल से नहीं, बल्कि संस्कारों...