अमरोहा, अगस्त 31 -- श्री दिगंबर जैन मंदिर में जैन समाज के श्रद्धालुओं ने दशलक्षण महापर्व का तीसरा दिन उत्तम आर्जव धर्म के रूप में मनाया। मंदिर में विधि-विधान से अभिषेक एवं शांति धारा का आयोजन हुआ। जैन समाज के अध्यक्ष डा. अनिल जैन ने उत्तम आर्जव के बारे में बताया कि हम सब को सरल स्वभाव रखना चाहिए और कपट का त्याग करना चाहिए। कपट के भ्रम में जीना दुखी होने का मूल कारण हैं। मनुष्य जब अपने मन से कपट करना, धोखा देना, चोरी करना ऐसे भावों को निकाल देता है व अपने स्वभाव को सरल विनय से युक्त बना लेता है उसे उत्तम आर्वज धर्म कहते हैं । जो व्यक्ति दूसरों के साथ कपट करता है वह स्वयं ही अपने आप को धोखा देता है व दूसरे की अपेक्षा स्वयं अपनी ही हानि अधिक करता है। आत्मा ज्ञान, खुशी, प्रयास, विश्वास जैसे असंख्य गुणों से सिंचित है उस में इतनी ताकत है कि केव...