संतकबीरनगर, अगस्त 21 -- संतकबीरनगर, निज संवाददाता। क्षय रोग की पहचान होते ही विभाग मरीज की दवाएं भले ही शुरू कर देता है, लेकिन मरीज की विस्तृत जांच गोरखपुर मेडिकल कॉलेज के बायोलॉजिकल लैब में होने के बाद शुरू होती है। जिले से सेंपल डाक के माध्यम से भेज दिया जाता है और वहां से जांच रिपोर्ट आने के बाद मरीज के आगे की दवा शुरू की जाती है। हालांकि इस दौरान 15 दिन का समय लग जाता है। जिले में क्षय रोग की निश्चित दवा है। छह माह तक नियमित दवाओं का प्रयोग कर लिया जाए तो क्षय रोग की बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाती है। कभी-कभी मरीज पहले टीबी की दवा खा चुका रहता है और बीमारी पूरी तरह से ठीक हुए ही दवाओं को छोड़ देता है। इसी वजह से टीबी के बैक्टीरिया में दवाओं के प्रति रेजिस्टेंस विकसित हो जाता है और मरीज पर दवाएं काम नहीं करती हैं। वर्तमान में जिले में ...