सीवान, अक्टूबर 27 -- सीवान। चुनावी माहौल में एक बार फिर यह बहस तेज हो गई है कि राजनीतिक दलों का घोषणा पत्र कितना जरूरी है और क्या इसका जनता पर कोई असर पड़ता है। अधिकांश लोगों का मानना है कि घोषणा पत्र दल की नीयत और नीति का आईना होता है, लेकिन उस पर अमल की कमी से इसकी विश्वसनीयता घटती जा रही है। घोषणा पत्र किसी भी दल की दिशा और सोच को दर्शाता है। इससे मतदाता यह समझ पाता है कि पार्टी सत्ता में आने पर क्या करना चाहती है। लेकिन दुर्भाग्य है कि अधिकतर दल इसे सिर्फ औपचारिकता मानते हैं। चुनाव के बाद जनता इन वादों का हिसाब नहीं मांगती, इसलिए इसका महत्व कम हो गया है। घोषणा पत्र बेहद जरूरी है, लेकिन इसमें युवाओं के लिए ठोस नीतियां नहीं होतीं। "रोजगार, शिक्षा और तकनीकी विकास पर विस्तृत योजना होनी चाहिए। केवल मुफ्त योजनाएं देना समाधान नहीं है। घोषणा ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.