नई दिल्ली, मार्च 10 -- ओडिशा हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एस मुरलीधर ने धर्मांतरण विरोधी कानून को विकल्प विरोधी कानून करार दिया है और कहा है कि यह दलितों को निशाना बनाने वाला कानून है। रिटायर्ड जस्टिस मुरलीधर ने ये भी कहा कि यह कानून चुनाव की स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंघन करता है। 28 फरवरी को धर्मांतरण विरोधी कानूनों पर आयोजित एडीएफ इंडिया पैनल चर्चा में बोलते हुए सेवानिवृत चीफ जस्टिस ने इस कानून के अंदर खामियों को उजागर करते हुए कहा कि इस कानून में यह मान लिया गया है कि किसी भी तरह का धर्मांतरण डर, भय या धमकी का परिणाम है। मुरलीधर ने कहा कि इस कानून में सबूत जुटाने का बोझ धर्मांतरण करने वाले शख्स पर नहीं बल्कि उस पर डाला गया है, जिस पर धर्मांतरण कराने के आरोप लगे हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी नहीं कि सभी तरह के धर्मांतरण जबरन या प्र...