बांका, दिसम्बर 8 -- कटोरिया (बांका), निज प्रतिनिधि। कभी दलहन खेती की पहचान रहे कटोरिया एवं चांदन क्षेत्र में आज हालात बदले-बदले नजर आते हैं। अरहर और चने की खेती यहां के किसानों की खुशहाली की पहचान थी। लेकिन मौजूदा परिस्थितियों में यह पहचान कमजोर होती जा रही है। खासकर अरहर, जो इस क्षेत्र की शान थी, अब किसानों के खेतों से सिमटती जा रही है। वहीं धान के बाद चना लगाने की वर्षों पुरानी परंपरा भी समाप्तप्राय हो चली है। पहले नवंबर आते ही गांव भर के खेतों में चने की हरियाली दिखाई देती थी। मगर अब यह नजारा धीरे-धीरे गायब हो रहा है। ऐसे में स्थानीय किसान अपनी कृषि पहचान को खोते देख चिंता में हैं, लेकिन प्रयासों और योजनाओं की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है, उनकी उदासीनता किसानों की पीड़ा को और बढ़ा रही है। स्थानीय किसानों का कहना है कि धान की कटाई के तु...