बगहा, मार्च 6 -- कपड़ा सिलाई कर जीवनयापन करने वाले दर्जियों की परेशानी कम नहीं है। किसी तरह कपड़े पर रफ्फू कर इनकी जिंदगी कट रही है। आधुनिकता के दौर में रेडिमेड कपड़ों के आने से इनके व्यवसाय पर बुरा प्रभाव पड़ा है। अधिकतर दर्जी मजदूरी और दूसरे पेशा को अपना चुके हैं। कुछ बचे हैं वे भी इस पेशे को छोड़ने का मन बना रहे हैं। कारण कि लग्न के सीजन को छोड़ दें तो वर्ष भर बहुत काम नहीं मिल पाता है। दर्जी लग्नभर काम करके दिल्ली-मुम्बई चले जाते हैं और वहां मजदूरी करते हैं। आधुनिक युग में स्टाइलिश कपड़ों की मांग बढ़ी है। इन्हें पास कपड़ा सिलने का हुनर तो है, लेकिन वे डिजाइनर नहीं हैं। मो.नसीम बताते हैं डिजाइनिंग का प्रशिक्षण देने के लिए सरकार की ओर से किसी तरह की व्यवस्था नहीं है। कुछ लोगों से सिलाई सीख लेते हैं। दूसरी ओर बड़ी दुकान व सिलाई मशीन खरीदने के लिए ...