सीवान, नवम्बर 2 -- सिसवन, एक संवाददाता। दरौंदा विधानसभा में चुनाव वैसे तो जातीय-समीकरण पर आधारित रहता है। विकास के मुद्दों पर भी चर्चा होती है लेकिन यहां से युवकों का पलायन भी कम नहीं है। इस विधानसभा का गठन वर्ष 2010 में होने के बाद से यहां एनडीए का ही कब्जा में रहा है। विधानसभा अस्तित्व में आने के बाद यहां महागठबंधन और जदयू भाजपा गठबंधन के बीच ही मुकाबला रहा है। इसमें एनडीए को ही विजय मिली है। यहां पर पहले चुनाव में जदयू के जगमातो देवी को विजय मिली। लेकिन, 2011 उनके निधन के बाद में हुए उपचुनाव में दरौंदा के राजनीति में नया मोड़ आया। उनकी पुत्रवधू कविता सिंह चुनाव जीतीं व लगातार 2015 में भी चुनाव जीतकर यहां से विधायक बनीं। जदयू के टिकट पर सीवान की सांसद बनने पर 2019 में हुए उपचुनाव में कर्णजीत सिंह उर्फ व्यास सिंह स्वतंत्र रूप से चुनाव जी...