सहारनपुर, सितम्बर 4 -- नगर के सभी जिनालयों में चल रहे दस दिवसीय दशलक्षण महा अनुष्ठान के आठवें दिवस "उत्तम त्याग धर्म" की अत्यंत भक्ति, उमंग और उत्साह के साथ पूजा-अर्चना की गई। प्रातःकालीन बेला में जैन बाग स्थित अतिशयकारी मंदिर में जिनबिंब पर अभिषेक और शांतिधारा संपन्न हुई। श्री वीरोदय तीर्थ मंडपम् में विमर्श सागर महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि संसार और भोगों से मोह-त्याग कर वैराग्य धारण करने वाला ही त्याग-धर्मी कहलाता है। त्याग धर्म का व्यवहारिक रूप दान है, जो गृहस्थ और मुनि दोनों के लिए सर्वोच्च धर्म है। उन्होंने चार प्रकार के दान आहार दान, औषधि दान, ज्ञान दान और अभयदान की महत्ता बताते हुए कहा कि दान आत्मकल्याण का साधन है और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है। जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन ने कहा कि धन तभी सार्थक है जब उसका उपयोग धर्...