नई दिल्ली, जुलाई 14 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि पति-पत्नी की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई टेलीफोन बातचीत वैवाहिक विवाद के मामले में साक्ष्य के रूप में स्वीकार्य है और इससे किसी तरह की निजता के अधिकार हनन नहीं हुआ है। जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने अपने फैसले कहा कि यदि शादी उस मुकाम पर पहुंच गई है, जहां पति-पत्नी एक-दूसरे पर सक्रिय रूप से नजर रख रहे हैं, तो यह अपने आप में टूटे हुए रिश्ते का लक्षण है और उनके बीच विश्वास की कमी को दर्शाता है। पीठ ने कहा कि ऐसे में गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई बातचीत, वास्तव में, वैवाहिक विवादों में स्वीकार्य साक्ष्य हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी तथ्यों पर गौर करने के बाद हम मानते हैं कि मौजूदा मामले में निजता के अधिकार का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है क्योंकि साक्ष...