शिमला, जून 27 -- हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने न्यायपालिका के खिलाफ गंभीर आरोपों से जुड़े एक आपराधिक अवमानना ​​के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए दो वकीलों द्वारा पेश की गई बिना शर्त माफी को शुक्रवार को खारिज कर दिया। जिन लोगों पर अवमानना का आरोप लगा है, उनके द्वारा न्याय व्यवस्था पर अनियमितता और ड्रग कार्टेल के साथ सांठगांठ करने के दावे किए गए थे। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने माफी को अस्वीकार करते हुए कहा, 'हमें यह कहते हुए खेद है कि अवमानना ​​के इस मामले में हम 'थप्पड़ मारो, माफी मांगो और भूल जाओ' विचारधारा का समर्थन नहीं कर सकते। 'माफी' कहने से थप्पड़ खाने वाले गाल का दुख कम नहीं हो जाता।' कोर्ट की कार्यवाही स्वतः संज्ञान के बाद तब शुरू हुई जब पहले प्रतिवादी धैर्य सुशांत ने न्यायपालिका के खिलाफ गंभीर आ...