नई दिल्ली, नवम्बर 14 -- बिहार के नतीजों ने क्या आपको भी चौंकने पर मजबूर कर दिया है पर बिहार है ही ऐसा। लोकतंत्र की जननी इस भूमि ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि चुनावी समर में जनता ही जनार्दन होती है और उसके मन को पूरी तरह आंक लेने की कुव्वत बड़े से बड़े सियासी सूरमा में भी नहीं। मैं ऐसा क्यों कह रहा हूं? कल यानी गुरुवार की दोपहर भारतीय जनता पार्टी के एक बड़े नेता से मैंने अनौपचारिक तौर पर पूछा कि आप लोगों को कितनी सीटें मिलेंगी? उनका कहना था कि हमारी सरकार आराम से बन जाएगी और जहां तक सीट का प्रश्न है, 140 से चार-पांच कम या ज्यादा हमें मिलनी चाहिए। पिछले दिनों पटना में जनता दल-यू के रणनीतिकार ने भी ऐसा ही कहा था। मतदाता ने उनकी झोली उम्मीद से कहीं ज्यादा भर दी है। कैसे? इसका जवाब दिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने। भारतीय जनता पार्टी के नई द...
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