अमरोहा, अक्टूबर 31 -- तिगरी गंगा मेले की शुरुआत त्रेता युग में हुई थी। मान्यता है कि अपने नेत्रहीन माता-पिता को तीर्थ करवाने के लिए निकले श्रवण कुमार गढ़मुक्तेश्वर के नक्का कुएं पर रुके थे। वहां उन्हें देखने के लिए लोगों की भीड़ लग गई थी। कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान करने के बाद श्रवण कुमार हरिद्वार के लिए रवाना हो गए थे। इन पांच दिन तक वह यहां तंबू लगाकर रहे, तभी से यहां मेले की शुरुआत हुई। इसके अलावा पांडवों ने महाभारत युद्ध में मरने वाले अपने सगे संबंधियों की आत्मा शांति के लिए गंगा में दीपदान भी किया था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश का प्रसिद्ध तिगरी गंगा मेला कब शुरू हुआ, इसका कोई सरकारी रिकार्ड नहीं है। जिला पंचायत के पास भी इसकी कोई जानकारी नहीं है। मान्यता है कि मेले की शुरुआत त्रेता युग में हुई थी। तब यह मेला गढ़ के प्राचीन नक्का के कु...