शामली, नवम्बर 1 -- गत 24 अक्टूबर से शहर के जेजे फार्म में चल रही श्रीराम कथा का शनिवार को भरत के पावन चरित्र एवं राम-भरत मिलाप के मार्मिक प्रसंग के साथ समापन हुआ। कथा व्यास संत प्रवर विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि त्रेता युग के भाई विपत्ति बांटते थे, लेकिन कलयुग के भाई संपत्ति बांटते हैं। रामराज्य अपहरण से नहीं, समर्पण से आता है। महाराज श्री ने कहा कि भरत की चित्रकूट यात्रा वास्तव में भक्ति से भगवान के मिलन की यात्रा है। उन्होंने बताया कि जब भरत गुरु वशिष्ठ, तीनों माताओं और अवधवासियों के साथ श्रृंगवेरपुर के समीप पहुंचे, तो निषादराज गुह को शंका हुई कि भरत सेना लेकर क्यों आए हैं। यह मन की प्रवृत्ति है, जो अधोगामी होती है। इसलिए मनुष्य को कभी अशुभ नहीं सोचना चाहिए। वशिष्ठ और भरत ने निषादराज को गले लगाकर बताया कि जिसे राम ने अपनाया, वह अछूत कै...