अंबेडकर नगर, मार्च 18 -- अम्बेडकरनगर, संवाददाता। त्यागी, तपी और परमार्थी साधक इस संसार से जाने के बाद भी स्मरणीय एवं वंदनीय होता है। विषय-भोगी पद या सत्ता का दुरुपयोग करने वाला व्यक्ति क्षण-क्षण जीते-जी मारता रहता है। यह विचार जहांगीरगंज क्षेत्र के श्यामपुर अलऊपुर में स्थित गांँधी आश्रम परिसर में चल रहे संगीतमयी रामकथा के तीसरे दिन मंगलवार को कथावाचक लवकुश महाराज ने प्रकट किया। कथावाचक ने कहा कि राजा दक्ष प्रजापति ने भगवान शंकर का अपमान करने के लिए महायज्ञ का आयोजन किया था, जिसमें उन्होंने भगवान शिव को छोड़कर समस्त देवताओं को आमंत्रण भेजा था। ऐसे में भगवान शंकर के मना करने के बाद भी सती अपने पिता के घर जाने की इच्छा जताई। भगवान शंकर ने बिना बुलाए जाने पर कष्ट का भागी बनने की बात कही, जिसके बाद भी सती नहीं मानी और पिता के घर चली गयीं। पिता ...