बिजनौर, दिसम्बर 8 -- सतपुरुष बाबा फुलसन्दे वालो ने कहा कि मनुष्य के मन को ईश्वर की माया मोह में डाले रहती है। उसे कभी अपने रूप का मद, कभी धन का मह, कभी कुल का मद, नशे बकी तरहा चढ़ा रहता है। शरद ऋतु के बादलों को जैसे तेज हवा कहीं का कहीं कड़ा कर ले जाती है, ऐसे ही मनुष्य का चित इस संसार में कहीं से कहीं उड़ा फिरता है। रविवार को फुलसंदा आश्रम में आयोजित सत्संग कार्यक्रम में मन को तपायमान करने वाले अनेक देख कलेस रात दिन मनुष्य को प्राप्त होते किये बिना रहते हैं। कोई भी मनुष्य तृष्णा का त्याग इस संसार में शान्ति को नहीं पा सकता । सतपुरुषों की संगति के बिना ज्ञान और परमात्मा को कोई नहीं पा सकता, स्त्री पुत्र और कुटम्ब में आसक्त हुए सभी मनुष्य उसी प्रकार शोक समुद्र में डूब जाते हैं, जैसे कमजोर बूढ़े, बीमार, हाथी दलदल में फंस कर नष्ट हो जाते हैं...