नई दिल्ली, नवम्बर 22 -- सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि अदालत के आदेश में किसी तुच्छ चूक का हवाला देकर उसकी अवहेलना करना पूरी तरह अनुचित है। यह टिप्पणी उस मामले की सुनवाई के दौरान की गई जिसमें उत्तर प्रदेश की जेल प्रशासन ने एक अंडरट्रायल कैदी की रिहाई 28 दिनों तक रोके रखी, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के जमानत आदेश में एक उपधारा (i) का जिक्र छूट गया था, हालांकि बाकी सभी विवरण पूरी तरह स्पष्ट थे।किस मामले में आई थी देरी? बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, आफताब नामक आरोपी को उत्तर प्रदेश अवैध धर्मांतरण निषेध अधिनियम के तहत बुक किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने 29 अप्रैल 2025 को उसे जमानत दी थी। आदेश में धारा 5(i) के स्थान पर केवल धारा 5 लिखा गया था। इस मामूली चूक के आधार पर जेल अधिकारियों ने उसकी रिहाई रोक दी और वह ...