बदायूं, नवम्बर 5 -- उझानी, संवाददाता। जैन समाज के चार दिवसीय श्री आदिनाथ मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के तीसरे दिन तीर्थंकर भगवान के तप एवं ज्ञान कल्याणक को धूमधाम से मनाया गया। परम तपस्यी आचार्य रत्न श्री 108 वसुनंदी सागर महाराज ने जैन धर्मावलंबियों को सत्कर्म करने के लिए प्रेरित किया। आचार्य रत्न ने जिनेंद्र भगवान के बारे में कहा कि पंचकल्याणक जैन धर्म के पांच पवित्र आयोजनों का एक समूह है, जो एक तीर्थंकर के जीवन की पांच प्रमुख घटनाओं का प्रतीक है। गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान और मोक्ष कल्याणक। तप कल्याणक वह घटना है जब तीर्थंकर सांसारिक जीवन को त्यागकर आत्म-कल्याण के लिए मुनि दीक्षा धारण करते हैं और आत्म-ध्यान में लीन हो जाते हैं। जब तीर्थंकर सांसारिक सुखों को त्यागकर और सब कुछ छोड़कर वन में जाते हैं और आत्म कल्याण के लिए मुनि दीक्ष...
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