सुपौल, मई 12 -- किशनपुर, एक संवाददाता। एक समय था जब प्रखंड के मेहासिमर पंचायत के सिगिआवन गांव स्थित उप स्वास्थ्य केंद्र की भी अपनी हस्ती थी। सुबह से शाम तक मरीजों का आना-जाना लगा रहता था। चिकत्सिक, नर्स से लेकर दवा तक की सुविधा उपलब्ध थी। सिगिआवन, मेहासिमर, मधुरा, तुलापट्टी, फुलवरिया, कजही ,झडका ,जरौली,परसा ,सोनबरसा, सहित आसपास के कई गांवों के लोग इलाज कराने आते थे, लेकिन विभाग के उपेक्षापूर्ण रवैये के चलते लाचार व बेबस मरीजों को या तो ग्रामीण चिकत्सिकों की शरण में जाना पड़ता है या 5 से 7 किलोमीटर दूरी तय कर प्रखंड मुख्यालय स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र या सुपौल इलाज के लिए जाना पड़ता है। वहां भी डॉक्टर नदारद रहते हैं ऐसे में आर्थिक रूप से कमजोर मरीज चाह कर भी अपना इलाज नहीं करवा पाते हैं। बताया जाता है कि 1960 में सिगिआवन गांव में उप स्...