नई दिल्ली, सितम्बर 26 -- तिहाड़ जेल की मजबूत दीवारों के अंदर, जहां हर दिन कैदियों की जिंदगी की हलचल चलती रहती है, वहां दो चर्चित शख्सियतों की कब्रें बिना किसी नाम या निशान के दबी पड़ी हैं। संसद हमले के दोषी मोहम्मद अफजल गुरु और कश्मीरी अलगाववादी नेता मोहम्मद मकबूल भट्ट की ये कब्रें इतनी गुमनाम हैं कि जेल के अफसर कहते हैं, इन्हें देखकर कोई नहीं पहचान सकता। ये खुलासा तब हुआ जब दिल्ली हाईकोर्ट ने इन कब्रों को हटाने की एक याचिका को खारिज कर दिया।जेल के मैदान में दफन इतिहास, बिना पत्थर, बिना निशान अफजल गुरु को 2013 में और मकबूल भट्ट को 1984 में फांसी दी गई थी। उनकी कब्रें जेल नंबर 3 के एक सादे मैदान में हैं, जो 'फांसी कोठी' के ठीक पास है। यहां कोई स्लैब या स्मृति चिन्ह नहीं है, जो इनकी याद दिलाए। जेल के एक अधिकारी ने बताया, 'यहां से रोजाना कैद...
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