हापुड़, अगस्त 11 -- कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे, आजादी ही लेंगे, या सर ही कटा देंगे, हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से तुम हाथ उठाओंगे , हम पैर बढ़ा देंगे। शहीद अशफाकउल्ला खां की ये पक्तियां हापुड़ के उन चार वीर अमर शहीद स्वतंत्रता सेनानियों के इतिहास को दोहराती है, जिन्होंने आजादी की वेदी पर हंसते हंसते अपने प्राणों की आहूति दी थी। शरीर से लहू बह रहा था, फिर फहराया तिरंगा-- 11 अगस्त स्वतंत्रता सेनानी शहीद कमेटी के आशुतोष आजाद ने बताया कि 11 अगस्त 1942 में आजादी के लिए देशवासियों को सरकारी दफ्तरों पर तिरंगा फहराना था। जिसके चलते पूरे देश में जुलूस निकाले जा रहे थे। हापुड़ के अतरपुरा चौपला पर शाम को सात बजे अंग्रेजी हुकुमत ने जुलूस में भीड़ को तितर बितर करने के लिए खुलकर लाठी चार्ज किया था। परंतु भीड में उत्साह ज्यादा था, जिस...
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