गिरडीह, अगस्त 6 -- गांडेय, प्रतिनिधि। गांडेय प्रखंड के ताराटांड़ गांव से लेकर महेशमुंडा तक आज हर एक गांव में शिबू सोरेन के संघर्ष की कहानियों पर चर्चा की जा रही है। शिबू सोरेन के साथ आंदोलन में शामिल झारखंड आंदोलनकारी बैजनाथ राणा, हलधर राय, इन्द्रदेव पाठक गुरुजी की कहानियों को याद करके भावुक हो रहे हैं। बता दें कि गुरुजी ने जब 70 के दशक में गांडेय की धरती पर आंदोलन का बिगुल फूंका था। उस समय गुरुजी के नजदीकी बसंत पाठक और जोन मुर्मू हुआ करते थे। हालांकि आंदोलन के क्रम में बसंत पाठक की हत्या हो जाती है। जोन मुर्मू बताते हैं कि गुरुजी टुंडी से बराकर नदी पार करके ताराटांड़ पहुंचते थे। ताराटांड़ से स्व. किशुन मरांडी का काफिला उन्हें बरमसिया 2 पंचायत के तीनपतली लेकर पहुंचते थे। गुरुजी का काफिला तीर धनुष से पटा हुआ रहता था। बता दें कि गुरुजी बरमस...
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