अररिया, नवम्बर 8 -- 70 के दशक के चुनाव में प्रचार प्रसार का अनोखा तरीका अपनाते थे प्रत्याशी अंजनी गौतम फारबिसगंज, एक संवाददाता। 70 के दशक के चुनाव में प्रचार प्रसार का अनोखा तरीका प्रत्याशी इस्तेमाल करते थे। उस वक्त चुनाव चिह्न(सिंबल) झोपड़ी, जोड़ा बैल, गाछी, हाथी मिलता था। उस सिंबल को लकड़ी का बनवाकर माथे पर लेकर प्रत्याशी व कार्यकर्ता गांव-गांव घुमाकर वोट मांगते थे। अतीत की बातों को याद करते हुए वृद्ध ढोलबज्जा निवासी विजय नारायण ठाकुर ने अपने विचारों को साझा की। बताया कि पूर्व के चुनाव में प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान चुनाव चिह्न को लकड़ी का बनवाते थे। इस तरह से प्रत्याशी प्रचार करते थे। प्रचार के क्रम में विलंब होने पर कभी कभार कार्यकर्ताओं को शाम में नाश्ता में भुजा खिला दिया जाता था। सवारी का कोई साधन नहीं था। प्रत्याशी व कार्यकर्ता प...
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