नई दिल्ली, सितम्बर 16 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पंजीकृत राजनीतिक दलों को कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 (POSH) के दायरे में लाने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा, "राजनीतिक दलों को POSH अधिनियम के अधीन करने से भानुमती का पिटारा खुल जाएगा और वे ब्लैकमेल का साधन बन जाएंगे।" इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने इससे जुड़ी याचिका खारिज कर दी। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस अतुल एस चंदुरकर की पीठ ने कहा कि राजनीतिक दलों पर ये अधिनियम लागू करने से 'भानुमती का पिटारा' खुल जाएगा तथा यह ब्लैकमेल और यह अधिनियम ब्लैकमेल करने का एक साधन बन जाएगा।महिलाएँ राजनीतिक दलों की सक्रिय सदस्य याचिकाकर्ता योगमाया जी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता श...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.