नई दिल्ली, जुलाई 26 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी की सभी जिला अदालतों को निर्देश दिया है कि तबादले के बाद भी न्यायाधीश दो से तीन हफ्तों के भीतर अपने द्वारा सुरक्षित रखे मामलों पर फैसला सुनाएं। अदालत ने स्पष्ट किया कि ऐसे मामलों को उनके उत्तराधिकारी न्यायाधीश दोबारा नहीं सुन सकते। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की एकल पीठ ने आदेश में कहा कि जब किसी मामले में फैसला सुरक्षित किया जा चुका हो, तो उसे सुनाने की जिम्मेदारी उसी न्यायाधीश की होती है, जिसने उसकी सुनवाई की है। भले ही उसका तबादला हो गया हो। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस प्रक्रिया से हटना न्यायिक प्रणाली में देरी, भ्रम और विश्वास की कमी का कारण बनता है। यह दिशा-निर्देश बीडी शर्मा की एक पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए जारी किए गए। जिन्हें नेगोशिएबल इंस्ट्...
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