बरेली, मार्च 2 -- पंछी, नदिया, पवन के झोंके, कोई सरहद न इन्हें रोके.. रिफ्यूजी फिल्म का यह गीत सभी को याद होगा। बावजूद इसके वक्त-बेवक्त इन आजाद परिदों को भी वतन की याद आ ही जाती है। हर साल अक्तूबर से नवंबर माह में हजारों की संख्या में रुहेलखंड की धरती पर बने वेटलैंड्स पर दस्तक देने वाले प्रवासी पक्षी अब वतन वापसी करने लगे हैं। मार्च की जगह इस बार फरवरी में ही बढ़ता तापमान प्रवासी पक्षियों को बेचैन कर रहा है। जिससे इन्होंने अपने वतन की उड़ान भरनी शुरू भी कर दी है। रुहेलखंड में बने वेटलैंड्स पर प्रवासी पक्षियों का आना-जाना लगा रहता है। वन विभाग के रेंजर वैभव चौधरी के मुताबिक चौबारी के साथ ही ऊंचा गांव, आंवला में इफ्को के तरुण ताल, लीलौर झील, बरगैन झील, रामगंगा किनारे, मीरगंज, भोजीपुरा, अखा में कई जगह ऐसी हैं जो प्रवासी पक्षियों के लिए उपयुक्...