बलरामपुर, मई 8 -- हर्रैया सतघरवा, संवाददाता। तराई क्षेत्र में पहाड़ी नालों की बाढ़ हर साल मुसीबत का सबब बनती है। सैकड़ो हेक्टेयर फसल जलमग्न होकर तबाह हो जाती है। नाला किनारे लगी फसलें रेत में दफ्न हो जाती है। राहगीरों को पानी में घुसकर मंजिल तक पहुंचना पड़ता है। दर्जन भर गांव नालों के कटान की जद में हैं। कई गांवों में बाढ़ का पानी लोगों के घरों में घुसकर नुकसान पहुंचाता है। नाला किनारे तटबंध बनाने की मांग अरसे से चली आ रही है, लेकिन उस पर अमल नहीं किया जाता। उदईपुर खैरहनिया गांव में सरकारी स्कूल व कई पक्के मकान नाले में कटकर समाहित हो सकते हैं। नाले की सिल्ट सफाई का काम भी लम्बे समय से नहीं कराया गया है। वर्षा ऋतु आते ही तराई वाशिंदों के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच जाती हैं। अभी ही यदि इस समस्या के समाधान के लिए जुगत की जाए तो लोगों का दर्द क...