जमुई, नवम्बर 11 -- झाझा, निज संवाददाता/अरूण बोहरा लोकतंत्र का महापर्व इस बार बड़ी,या कहें कि ऐतिहासिक उपलब्धि का एक नया अध्याय लिखने जा रहा है। लोकतंत्र के प्रति जोश को हाई करने वाली उपलब्धि यह कि दशकों से अपनी पहचान एक नक्सल प्रभावित इलाके के रूप में रखते आए 242,झाझा विधान सभा के तमाम वोटर पूरे ढाई दशक बाद नक्सलवाद के गढ़ में वोट की चोट करेंगे। इस बार डर-भय या खौफ,दहशत वाली झुलसाती धूप के बीच नहीं,अपितु सुरक्षा की सुखद ठंडी छांव वाले अपने गांव के ही बूथ पर सभी वोटर डालेंगे वोट। 25 साल के लंबे अंतराल के बाद यह पहला चुनाव होने जा रहा है जिसमें निर्वाचन आयोग व प्रशासन के पहरूओं को नक्सल प्रभावित इलाकों के किसी बूथ को न शिफ्ट करने की जहमत उठानी पड़ी है,अथवा न किसी बूथ को संवेदनशील या अति संवेदनशील (हायपर सेंसिटिव) घोषित करने की ही जरूरत पड़ी है।...