वाराणसी, अप्रैल 11 -- वाराणसी, मुख्य संवाददाता। ढलते सूरज के प्रकाश में गुरुवार की शाम गंगा की गोद में चैती का उठान हुआ। चैतुआ गुलाब की सुगंध के बीच चैती के विविध प्रकार पद्मश्री उर्मिला श्रीवास्तव, विदुषी सुचरिता गुप्ता की खनकती आवाज में मुखर हुए। नई पीढ़ी के उदीयमान कलाकारों सुनिति पाठक एवं श्रेया सोनकर ने भी अपना हुनर दिखाया। सभी कलाकारों ने चैता गौरी, चैती खमाज,निर्गुण चैती (घाटो), चैती ठुमरी, भैरवी चैती के साथ ही होरी ठुमरी और होरी दादरा से श्रोताओं को गायन की समृद्धि का आभास कराया। अवसर था सामाजिक सांस्कृतिक संस्था काशी कला कस्तूरी की ओर से बजड़े पर आयोजित चैती महोत्सव का। आमंत्रित कलाकारों ने चैती गायन का अनूठा गुलदस्ता पेश किया। रामनगर से छलका बजड़ा जैसे-जैसे राजघाट की ओर बढ़ता रहा वैसे-वैसे गायन के माध्यम से उपशास्त्रीय गायन की म...