नई दिल्ली, अक्टूबर 18 -- केरल हाईकोर्ट ने एक केस में फैसला सुनाते हुए समता, निष्पक्षता और मानवता की मिसाल पेश की है। माननीय हाई कोर्ट ने नशा मुक्ति कोर्स को पूरा करके आए एक युवा के आगे पढ़ने की इच्छा को न केवल समझा बल्कि उसको अपना भविष्य बनाने में आर्थिक मदद भी दी। इतना ही नहीं केस के दौरान न्यायालय ने कहा कि समाज को ख्याल रखना चाहिए कि नशा करने वालों को दंडित करने की बजाय उन्हें इस बात को विश्वास दिलाया जाए कि सिस्टम उनके साथ है। न्यायमूर्ति ए. मुहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति हरिशंकर वी. मेनन की पीठ ने कहा कि नशेड़ी लोगों को अपनाने की जरूरत है। कोर्ट ने कहा, "हमें उनमें सुधार लाना होगा, यही नई पद्धति है।" इसके बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए युवा की इच्छा के अनुरूप कोर्स में एडमिशन दिलवाने का फैसला किया। फीस के तौर पर 91,000 रुपए की कम...