अलीगढ़, जुलाई 12 -- अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। पीसीपीएनडीटी एक्ट के तहत गठित एडवाइजरी कमेटी पर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। डॉ. सुकुमार यादव के फर्जी दस्तावेज तीन अल्ट्रासाउंड सेंटरों में कैसे स्वीकार कर लिए गए? कमेटी की बैठक में दस्तावेजों की पुष्टि, चिकित्सक की मौजूदगी और पंजीकरण की सघन जांच अनिवार्य होती है, फिर यह चूक हुई कैसे? हकीकत तो तब सामने आई जब बदायूं कोर्ट ने मेडिकल काउंसिल से जांच कराई। यदि यह पहल न होती तो तीन नहीं बल्कि और भी सेंटर फर्जी दस्तावेजों पर खुल सकते थे। स्वास्थ्य तंत्र की लापरवाही एक बार फिर उजागर हुई है। अल्ट्रासाउंड सेंटरों के पंजीकरण की प्रक्रिया में जिस एडवाइजरी कमेटी को फर्जीवाड़े की छानबीन करनी थी, उसी की आंखों के सामने फर्जी दस्तावेज पास हो गए। डॉ. सुकुमार यादव के फर्जी कागजों पर तीन सेंटर, इगलास के चमेली देवी...
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