नई दिल्ली, सितम्बर 6 -- उड़ीसा हाईकोर्ट ने कहा कि मां के बयान के बावजूद संतान का डीएनए परीक्षण कराने का निर्देश देना मातृत्व का अपमान और कानून के विरुद्ध होगा। यह टिप्पणी उड़ीसा हाईकोर्ट के एकल पीठ के जज बी.पी. राउत्रे ने की। एकल पीठ ने संपत्ति बंटवारे के एक मामले में डीएनए परीक्षण का निर्देश देने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी। दरअसल, संपत्ति बंटवारे के एक मामले में विरोधी पक्ष के 58 साल के व्यक्ति के पिता का पता लगाने के लिए उसका डीएनए परीक्षण का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका को निचली अदालत ने भी खारिज कर दिया था। जस्टिस राउत्रे ने हाल ही में अपने फैसले में कहा कि मैं इस मामले में व्यक्ति का डीएनए परीक्षण कराने के लिए इसे उपयुक्त मामला नहीं मानता। याचिकाकर्ता के अनुरोध को अस्वीकार करने संबंधी निचली अदालत के आदेश में कोई त्रुट...