नई दिल्ली, नवम्बर 2 -- भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ियों को आज भरपूर पैसा मिलता है। बीसीसीआई ने मैच फीस और आईसीसी ने प्राइज मनी में महिलाओं के लिए समानता लाने का काम किया है। महिला टीम भी अब फाइव स्टार होटल्स में ठहरती है, लेकिन एक समय ऐसा भी था जब 20 खिलाड़ियों के लिए 4 टॉयलेट हुआ करते थे। डॉरमेंट्री में फ्लोर पर सोना होता था। प्लास्टिक के बर्तनों में दाल परोसी जाती थी। ऐसे ही अभावों की कहानी से भारतीय महिला क्रिकेट भरी रही है, लेकिन अब समय प्रभाव का है और प्रदर्शन का है। भारतीय महिला क्रिकेट में पैसा नहीं हुआ करता था और प्रायोजक भी नहीं होते थे। इसी वजह से विदेशी दौरे मुश्किल हुआ करते थे, लेकिन कुछ मजबूत इरादों वाली महिलाएं थीं जो 'शो मस्ट गो ऑन' वाली कहावत में भरोसा रखती थीं और उनमें से एक थीं नूतन गावस्कर। नूतन 1973 में भारत में ...