लखनऊ, मार्च 20 -- लखनऊ, विशेष संवाददाता। विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि निजीकरण के लिए ट्रांजैक्शन एडवाइजर की टेंडर प्रक्रिया में चौंकाने वाला मामला सामने आया है। उन्होंने कहा कि ट्रांजैक्शन एडवाइजर की चयन प्रक्रिया में तीन चरण होते हैं। पहले चरण में योग्यता देखी जाती है, दूसरे चरण में मूल्यांकन किया जाता है और तीसरे चरण में वित्तीय मानक को देखा जाता है। नियमानुसार योग्यता देखे जाने के समय ही टेंडर में भाग लेने वाली दो कंसलटेंट कंपनियों डिलाइट व अर्नस्ट एंड यंग को टेंडर से बाहर कर देना चाहिए था। उन्होंने सवाल उठाया कि कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं किया गया कि ट्रांजैक्शन एडवाइजर के तीन टेंडर पूरे हो जाएं और तीसरे कंसल्टेंट का टेंडर खोल दिया जाए। उन्होंने कहा कि एक कंसलटेंट कंपनी जब नियामक आयोग से एनओसी नहीं ला प...