नई दिल्ली, जुलाई 2 -- मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को कहा कि टेलीफोन टैपिंग निजता के अधिकार का उल्लंघन है, जब तक कि कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया द्वारा इसे उचित न ठहराया जाए। न्यायमूर्ति एन. आनंद वेंकटेश ने यह भी कहा कि निजता का अधिकार अब संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत गारंटीकृत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का अभिन्न अंग है। जज ने कहा कि टेलीग्राफ अधिनियम की धारा 5(2) सार्वजनिक आपातकाल की स्थिति में या सार्वजनिक सुरक्षा के हित में टेलीफोन को इंटरसेप्ट करने का अधिकार देती है। एवरॉन एजुकेशन लिमिटेड के प्रबंध निदेशक पी किशोर द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करते हुए जज ने केंद्र सरकार के आदेश को रद्द कर दिया। केंद्र ने आयकर के सहायक आयुक्त से जुड़े रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में याचिकाकर्ता के मोबाइल फोन की टैपिंग का आदेश...