बोकारो, सितम्बर 19 -- शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने से पहले के नियुक्त शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा उत्तीर्ण करने अन्यथा सेवामुक्त किए जाने और प्रोन्नति से वंचित रखे जाने के पहली सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट के फैसले से झारखंड के शिक्षकों में घोर निराशा और आक्रोश है। इससे झारखंड के लगभग 30 हजार शिक्षकों की सेवा खतरे में आ गई है। देश के लाखों शिक्षक इस व्यथा से पीड़ित होने वाले है। शिक्षकों में इस बात को लेकर कोर्ट के फैसले से नाराजगी है कि जब भारत की संसद से बने 2010 के कानून में 2010 से पूर्व के नियुक्त शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने की आवश्यकता नहीं है तब कोर्ट ने इसके विपरीत फैसला कर अचंभित किया है। अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के बैनर तले राज्य के शिक्षक आंदोलन करने के मूड में है। राज्यस्तरीय घोषणा के अनुरूप ब...