गोरखपुर, दिसम्बर 23 -- गोरखपुर, कार्यालय संवाददाता। टीबी जांच में ट्रूनेट माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (एमटीबी)/रिफैम्पिसिन (आरआईएफ) पारंपरिक जांच जीहल-नील्सन (जेडएन) स्मियर माइक्रोस्कोपी की तुलना में ज्यादा कारगार है। एमटीबी जांच के जरिए पल्मोनरी और एक्स्ट्रा-पल्मोनरी नमूने की जांच के परिणाम जेडएन की तुलना में बेहद कारगार मिले हैं। ट्रूनेट एमटीबी टेस्ट ने 13.7 फीसदी मामलों में टीबी की पहचान की है। जबकि, स्मियर माइक्रोस्कोपी में 4.3 फीसदी नमूनों का ही पता लग सका है। इसका खुलासा एम्स के माइक्रोबायोलॉजी की शोध में हुआ है। एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग का यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ माइक बैक्टीरियोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ता माइक्रोबायोलॉजी के एसोसिएफ प्रो. डॉ. अरुप मोहंती ने बताया कि जीहल नील्सन की तुलना में ट्रूनेट माइकोबैक्टीरियम ट्...